5 बार नॉमिनेट होने के बाद भी मरते दम तक "शांति का नोबेल पुरस्कार" नहीं मिला गाँधी को, अहिंसा के थे सबसे बड़े पुजारी !!

पूरी दुनिया में महात्मा गांधी को अहिंसा के सबसे बड़े पुजारी के रूप में जाना जाता है। 


उन्होंने अहिंसा के बल पर भारत की आज़ादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी गांधी को नोबेल के शांति पुरस्कार के लिए पांच बार नामित किया गया लेकिन उन्हें कभी यह पुरस्कार नहीं दिया। 


शांति पुरस्कार समिति भी यह बात स्वीकार कर चुकी है कि महात्मा गांधी को शांति पुरस्कार नहीं देना एक चूक थी। 


 साल 1989 में महात्मा गांधी की मौत के 41 साल बाद बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा को शांति पुरस्कार देते हुए नोबेल समिति के चेयरमैन ने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी थी। 


दूसरा दावा ये भी है कि अंग्रेजों से नाराजगी मोल लेने के डर से गांधी को प्राइज नहीं दिया गया हालांकि इस बात के कोई सबूत नहीं मिले कि गांधी को नॉमिनेट करने के वक्त नोबेल कमेटी ने अंग्रेजों से कोई बातचीत की हो। 



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